अशोक सहित मौर्यवंश (सूर्यवंश की शाखा) के सभी शासक हिन्दू थे. मै
समझता हूं कि अंग्रेजो और कुछ बौद्धो की झूठी बातो पर ध्यान देने के बदले आप अशोक
के शिलालेखो को पढे (रोमन थापर की पुस्तक मे भी मिल जायेंगे). अशोक कभी भी बौद्ध नही बने
थे हा लेकिन पेशावर का एक ग्रीक राजा मिनांद बाद मे बौद्ध जरूर बना था, इनके सिवा और कोई
भी राजा बौद्ध नही बना. इसका कोई प्रमाण नही है कि अशोक ने बौद्ध धर्म को अपनाया
था हा अंग्रेजो के समय और उनके बाद मे लिखी गयी पुस्तको मे जरूर ये बात लिखी गयी
कि अशोक ने बौद्ध धर्म अपनाया. जो की अंग्रेजो ने हिदुओ को तोडने के लिये लिखवाया
था. मै पुन: कहता हूं कि अशोक के शिलालेख को पढ ले, “बौद्ध धर्म’’ शब्द ही नही मिलेगा.
बौद्धो के मूल तीन ग्रंथ है त्रिपटक, उनमे भी अशोक के शिलालेखो जैसी ही भाषा
है जो सनातन को प्रदर्शित करती है : सच्चे ब्राम्ह्णो की सर्वत्र प्रशंसा गौतम
बुद्ध ने भी धम्म्पिटक मे की और लोभी ब्राम्हणो की निंदा की, किंतु
ऐसा तो वेदब्यास जी ने भी किया था.
अगर आपको मेरी(लेखक) बातो मे
थोडा भी संदेह हो तो आप केवल तीन चीजो का अध्ययन कर ले आपको भी मेरी तरह सत्य पता
चल जायेगा और वो तीन चीजे है क्या— धम्म्पिटक, मेगास्थानीस का इंडिका,
अशोक के शिलालेख और हा यदि सम्म्भव हो तो विशख्दत्त का संस्कृत नाटक”मुद्राराछ्स’
भी पढ ले जिसका हिंदी अनुवाद 91 साल पहले भार्तेंदु हरिश्चंद्र जी ने किया था.
धन्यवाद
स्रोत- हिंदी रिवोल
प्रेस