श्री राम के वंशज है बुद्ध
गौतम राजपुताना वंश जिसमे राजा सिद्धार्थ का
जन्म हुआ था और बाद मे वो ही महात्मा बुद्ध बने
थे..जिन्हे स्वय:भू मूलनिवासी अपना
कहते नही थकते और हमे (सूर्यवंशी क्षत्रिय मौर्य) को विदेशी बताते है...
वंश--सूर्यवंश,इच्छवाकु,शाक्य
गोत्र- गौतम
कुलदेवी- चामुण्ङा माता, बन्दी माता, दुर्गा माता
देवता - महादेव योगेश्वर, श्री रामचन्द्र जी
वेद - यजुर्वेद
प्रसिद्ध महापुरुष- भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ)
गोत्र- गौतम
कुलदेवी- चामुण्ङा माता, बन्दी माता, दुर्गा माता
देवता - महादेव योगेश्वर, श्री रामचन्द्र जी
वेद - यजुर्वेद
प्रसिद्ध महापुरुष- भगवान बुद्ध (सिद्धार्थ)
गौतम वंश का महामंत्र--
रेणुका: सूकरह काशी काल बटेश्वर:।
कालिंजर महाकाय अश्वबलांगनव मुक्तद:॥
रेणुका: सूकरह काशी काल बटेश्वर:।
कालिंजर महाकाय अश्वबलांगनव मुक्तद:॥
प्राचीन राज्य- कपिलवस्तु, अर्गल, मेहनगर, कोरांव, बारां(उन्नाव), लशकरपुर ओईया(बदायूं)
गौतम सूर्यंवंशी क्षत्रिय राजपूत हैं
ये अयोध्या के सूर्यवंश से अलग हुई शाखा है इन्हें शाक्य वंश भी कहा जाता है।
Note-- Alexander Cunningham (1871:349) relates the Sakya
to the modern Gautam Rajputs, who were residing in the contemporary Indian
districts Nagar & Amoddha of U.P.
गौतम ऋषि द्वारा दीक्षित होने के कारण
इनका ऋषि गोत्र गौतम हुआ जिसके बाद ये गौतम क्षत्रिय कहलाए जाने लगे।
भगवान राम के वंशज ने प्राचीन काल मे
अपना राज्य नेपाल मे स्थापित किया ।
इसी वंश मे महाराणा शाक्य सिंह हुए जिनके नाम से यह शाक्य वंश कहा जाने लगा। इसकी राजधानी कपिलवस्तु ( गोरखपुर ) थी। इसी वंश में आगे चलकर शुध्दोधन हुये जिनकी बडी रानी से सिद्धार्थ उत्पन्न हुये जो " गौतम " नाम से सुविख्यात हुये । जो संसार से विरक्त होकर प्रभु भक्ति में लीन हो गये । संसार से विरक्त होने से पहले इनकी रानी यशोधरा को पुत्र (राहुल ) उत्पन्न हो चुका था। इन्हीं गौतम बुद्ध के वंशज " गौतम " राजपूत कहलाते हैं ।
इसी वंश मे महाराणा शाक्य सिंह हुए जिनके नाम से यह शाक्य वंश कहा जाने लगा। इसकी राजधानी कपिलवस्तु ( गोरखपुर ) थी। इसी वंश में आगे चलकर शुध्दोधन हुये जिनकी बडी रानी से सिद्धार्थ उत्पन्न हुये जो " गौतम " नाम से सुविख्यात हुये । जो संसार से विरक्त होकर प्रभु भक्ति में लीन हो गये । संसार से विरक्त होने से पहले इनकी रानी यशोधरा को पुत्र (राहुल ) उत्पन्न हो चुका था। इन्हीं गौतम बुद्ध के वंशज " गौतम " राजपूत कहलाते हैं ।
प्रसिद्ध गौतम राजा अंगददेव ने अपने
नाम का रिन्द नदी के किनारे "अर्गल" नाम की आबादी को आबाद करवाया और
गौतम के खानदान की राजधानी स्थापित किया राजा अंगददेव. की लडकी अंगारमती राजा
कर्णदेव को ब्याही थी राजा अंगददेव ने अर्गल से ३मील दक्षिण की तरफ एक किला बनवाया
और इस किले का नाम "सीकरी कोट" यह किला गए में ध्वंसावशेष के रूप में आज
भी विद्यमान है।
१- राजा अंगददेव
२- बलिभद्रदेव
३- राजा श्रीमानदेव
४- राजा ध्वजमान देव
५- राजा शिवमान देव :-
राजा शिवमान देव ने अर्गल से १मील दक्षिण रिन्द नदी के किनारे अर्गलेश्वर महादेव का मन्दिर बनवाया यहाँ आज भी शिवव्रत का मेला लगता है।
अर्गल राजा कलिंग देव ने रिन्द नदी के किनारे कोडे (कोरा) का किला बनवाया।
१- राजा अंगददेव
२- बलिभद्रदेव
३- राजा श्रीमानदेव
४- राजा ध्वजमान देव
५- राजा शिवमान देव :-
राजा शिवमान देव ने अर्गल से १मील दक्षिण रिन्द नदी के किनारे अर्गलेश्वर महादेव का मन्दिर बनवाया यहाँ आज भी शिवव्रत का मेला लगता है।
अर्गल राजा कलिंग देव ने रिन्द नदी के किनारे कोडे (कोरा) का किला बनवाया।
13वीं शताब्दी में भरो द्वारा अर्गल का
हिस्सा दबा लिया था।उस समय अर्गल राज्य में अवध क्षेत्र के कन्नौज के रायबरेली
फतेहपुर बांदा के कुछ क्षेत्र आते थे।
1320 के पास अर्गल के गौतम राजा नचिकेत सिंह व बैस ठाकुर अभय सिंह व निर्भय सिंह का जिक्र आता है। उस समय बैसवारा में सम्राट हर्षवर्धन के वंशज बैस ठाकुरों का उदय हो रहा था। उनके नाम पर ही इस क्षेत्र को बैसवारा क्षेत्र कहा गया। एक युद्ध में नचिकेत सिंह और उनकी पत्नी को गंगा स्नान के समय विरोधी मुस्लिम सेना ने घेर लिया तो निर्भय व अभय सिंह ने उन्हें बचाया था। इसमें निर्भय सिंह को वीर गति प्राप्त हुई थी। राजा ने अभय सिंह की बहादुरी से खुश होकर उन्हें अपनी पुत्री ब्याह दी और दहेज में उसे डौडिया खेड़ा का क्षेत्र सहित रायबरेली के 24 परगना (उस समय यह रायबरेली में आता था) और
फतेहपुर का आशा खेड़ा का राजा बनाया था। 1323 ईसवी में अभय सिंह बैस यहां के राजा हुए थे। यह पूरा क्षेत्र भरों से खाली कराने में अभय सिंह की दो पीढिया लगीं। इसके बाद आगे की पीढ़ी में मर्दन सिंह का जिक्र आता है।
1320 के पास अर्गल के गौतम राजा नचिकेत सिंह व बैस ठाकुर अभय सिंह व निर्भय सिंह का जिक्र आता है। उस समय बैसवारा में सम्राट हर्षवर्धन के वंशज बैस ठाकुरों का उदय हो रहा था। उनके नाम पर ही इस क्षेत्र को बैसवारा क्षेत्र कहा गया। एक युद्ध में नचिकेत सिंह और उनकी पत्नी को गंगा स्नान के समय विरोधी मुस्लिम सेना ने घेर लिया तो निर्भय व अभय सिंह ने उन्हें बचाया था। इसमें निर्भय सिंह को वीर गति प्राप्त हुई थी। राजा ने अभय सिंह की बहादुरी से खुश होकर उन्हें अपनी पुत्री ब्याह दी और दहेज में उसे डौडिया खेड़ा का क्षेत्र सहित रायबरेली के 24 परगना (उस समय यह रायबरेली में आता था) और
फतेहपुर का आशा खेड़ा का राजा बनाया था। 1323 ईसवी में अभय सिंह बैस यहां के राजा हुए थे। यह पूरा क्षेत्र भरों से खाली कराने में अभय सिंह की दो पीढिया लगीं। इसके बाद आगे की पीढ़ी में मर्दन सिंह का जिक्र आता है।
अर्गल के गौतम राजा द्वारा चौसा के
युद्ध में हुमायूँ को हराया गया जिससे शेरशाह सूरी को मुगलो को अपदस्थ कर भारत का
सम्राट बनने में सहायता मिली।
जब मुगलों का भारत में दुबारा अधिपत्य
हुआ तो उन्होंने बदले की भावना से अर्गल राज्य पर हमला किया और यह राज्य नष्ट हो
गया।
फिर भी बस्ती गोरखपुर क्षेत्र में गौतम राजपूतो की प्रभुसत्ता बनी रही और ब्रिटिश काल तक गौतम राजपूतो के एक जमीदार परिवार शिवराम सिंह "लाला" को अर्गल नरेश की उपाधि बनी रही।
फिर भी बस्ती गोरखपुर क्षेत्र में गौतम राजपूतो की प्रभुसत्ता बनी रही और ब्रिटिश काल तक गौतम राजपूतो के एक जमीदार परिवार शिवराम सिंह "लाला" को अर्गल नरेश की उपाधि बनी रही।
अर्गल के गौतम राजपूतो की एक शाखा
पूर्वांचल गयी वहां मेहनगर के राजा विक्रमजीत गौतम ने किसी मुस्लिम स्त्री से
विवाह कर लिया जिससे उन्हें राजपूत समाज से बाहर कर दिया गया।
बस्ती जिले में नगर के गौतम राजा
प्रताप नारायण सिंह ने 1857 के स्वतन्त्रता संग्राम में अंग्रेजो के विरुद्ध क्रांति
में बढ़ चढ़कर भाग लिया तथा अंग्रेजो को कई बार मात दी।
लेकिन उनके कुछ दुष्ट सहयोगियों द्वारा विश्वासघात करने के कारण वो पकड़े गए तथा उन्हें अंग्रेजो द्वारा मृत्युदण्ड की सजा दी गयी।
लेकिन उनके कुछ दुष्ट सहयोगियों द्वारा विश्वासघात करने के कारण वो पकड़े गए तथा उन्हें अंग्रेजो द्वारा मृत्युदण्ड की सजा दी गयी।
आज गौतम राजपूत गाजीपुर, फतेहपुर
, मुरादाबाद
, बदायुं, कानपुर , बलिया , आजमगढ़ , फैजाबाद
, बांदा, प्रतापगढ, फर्रूखाबाद, शाहाबाद, गोरखपुर
, बनारस , बहराइच, जिले(उत्तर
प्रदेश )
आरा, छपरा, दरभंगा(बिहार )
चन्द्रपुरा, नारायण गढ( मंदसौर), रायपुर (मध्यप्रदेश ) आदि जिलों में बासे हैं ।
"कण्ङवार" - दूधेला, पहाड़ी चक जिला छपरा बिहार में बहुसंख्या में बसे हैं ।
आरा, छपरा, दरभंगा(बिहार )
चन्द्रपुरा, नारायण गढ( मंदसौर), रायपुर (मध्यप्रदेश ) आदि जिलों में बासे हैं ।
"कण्ङवार" - दूधेला, पहाड़ी चक जिला छपरा बिहार में बहुसंख्या में बसे हैं ।
चन्द्रपुरा, नारायण
गढ( मंदसौर) में उत्तर प्रदेश के फतेहपुर से आकर गौतम राजपूत बसे हैं ।
कुछ गौतम राजपूत पंजाब के पटियाला और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर हमीरपुर कांगड़ा चम्बा में भी मिलते हैं
कुछ गौतम राजपूत पंजाब के पटियाला और हिमाचल प्रदेश के बिलासपुर हमीरपुर कांगड़ा चम्बा में भी मिलते हैं
गौतम राजपूतों की एक शाखा.. गाज़ीपुर
के जमानियां. करंडा बेल्ट में भी है। विधायक राजकुमार सिंह गौतम करंडा क्षेत्र के
मैनपुर गांव के ही निवासी हैं जो गौतम ठाकुरों का काफी दबंग गांव है।.. बाकि
गौतमों की एक पट्टी आजमगढ़ के मेंहनगर लालगंज बेल्ट में भी है।
गौतम क्षत्रिय की खापें निम्नलिखित
हैं।
(१) गौतमिया गौतम :--
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और गोरखपुर जिलों में हैं।
(२)गोनिहा गौतम :--
बलिया,शाहबाद (बिहार) आदि जिलों में हैं।
(३) कण्डवार गौतम :--
कण्डावेनघाट
के पास रहने वाले गौतम क्षत्रिय कण्डवार गौतम कहे जाने लगे। ये बिहार के छपरा आदि जिलों में हैं।
(४)अण्टैया गौतम :--
इन्होंने अपनी जागीर अंटसंट (व्यर्थ) में खो दी।इसीलिए अण्टैया गौतम कहलाते हैं।ये सरयू नदी के किनारे चकिया, श्रीनगर,जमालपुर,नारायणगढ़ आदि गांवों में बताये गए हैं।
(५) मौर्य गौतम:--
इस वंश के क्षत्रिय उत्तर प्रदेश के मथुरा,फतेहपुर सीकरी,मध्य प्रदेश के उज्जैन,इन्दौर,तथा निमाड़ बिहार के आरा जिलों में पाए जाते हैं।
(६) रावत क्षत्रिय -
गौत्र - भारद्वाज। प्रवर - तीन - भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। देवी -चण्डी। गौतम वंश की उपशाखा है। इन क्षत्रियों का निवास उन्नाव तथा फ़तेहपुर जिलों में हैं।
(१) गौतमिया गौतम :--
उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ और गोरखपुर जिलों में हैं।
(२)गोनिहा गौतम :--
बलिया,शाहबाद (बिहार) आदि जिलों में हैं।
(३) कण्डवार गौतम :--
कण्डावेनघाट
के पास रहने वाले गौतम क्षत्रिय कण्डवार गौतम कहे जाने लगे। ये बिहार के छपरा आदि जिलों में हैं।
(४)अण्टैया गौतम :--
इन्होंने अपनी जागीर अंटसंट (व्यर्थ) में खो दी।इसीलिए अण्टैया गौतम कहलाते हैं।ये सरयू नदी के किनारे चकिया, श्रीनगर,जमालपुर,नारायणगढ़ आदि गांवों में बताये गए हैं।
(५) मौर्य गौतम:--
इस वंश के क्षत्रिय उत्तर प्रदेश के मथुरा,फतेहपुर सीकरी,मध्य प्रदेश के उज्जैन,इन्दौर,तथा निमाड़ बिहार के आरा जिलों में पाए जाते हैं।
(६) रावत क्षत्रिय -
गौत्र - भारद्वाज। प्रवर - तीन - भारद्वाज, वृहस्पति, अंगीरस। वेद -यजुर्वेद। देवी -चण्डी। गौतम वंश की उपशाखा है। इन क्षत्रियों का निवास उन्नाव तथा फ़तेहपुर जिलों में हैं।
http://members.iinet.net.au/~royalty/ips/misc/oudh2.html
उन्नाव जिले में बारा की स्टेट गौतम
राजपूतो की है इसके महिपाल सिंह जमिदार थे।।
कोरांव का दुर्ग भी गौतम राजपूतो द्वारा ही बनवाया गया था।
कोरांव का दुर्ग भी गौतम राजपूतो द्वारा ही बनवाया गया था।
Sahi
ReplyDeletebhai samrath ashok ka bhi jikra kiye ho yahan Main "Vyaghra Vanshi Kaushalya" Mali Rajput ya Maurya Rajput bhi kah sakte ho unke bare me bhi batao
ReplyDeleteMere vichar se yah kapol kalpit hai aur kisi bhi data ko sach kaise mana jaye?
ReplyDeleteKyonki bhagwan buddh ne sabse jyada kisi cheek ka virodh kiya hai to vo hai pakhand aur asamanata, agyanta aadi ki jo hindu dharm me sabse jyada hai jo ki bhagwan ram ko aadarsh manta hai
ReplyDeleteMahayani bauddh hi pakhandi lucche moorkh dhoort lutere hi hindu he.
ReplyDeleteMind your language
Deleteये सब एक काल्पनिक कथा कहानियां हैं सत्य ये नहीं है
ReplyDeleteमौर्य वंश की कुलदेवी कौन है और कहां है
ReplyDeleteयहां कुछ लोग उस वंशावली को काल्पनिक कह रहे हैं जिसको बड़े से बड़े विद्वान भी नकार नहीं सकते है लेकिन जो लोग वंशावली को काल्पनिक बोले अगर ऐसे लोग अपने बाप को अपना बाप ना मान कर पड़ोसी को अपना सगा बाप मान ले तो इसमे कोई दो
ReplyDeleteराय नहीं है ऐसे लोग अगर अपने बाप को भी काल्पनिक बोल दे वो आश्चर्य वालीं बात नहीं है ये उनका जन्मसिद्ध अधिकार है
Sahi kaha ji
DeleteMaurya Rajput wansh...
ReplyDeleteBhata turaiya kaha se aaye gye isame 😂🌞⚔️Shakya only koliya Rajput ( koli)
ReplyDeleteAkhil bharatiya kshatriya mahaasabha considering gautam buddha ( shakyamuni) vanshaj only koliya Rajput bhata turai bechane vaale ni jo khud ki book likh kar khud ko kshatriya bolte h 😂
ReplyDelete